Saturday 21 September 2013

Religious Power

भगवान की पूजा करने से,दर्शन करने से,और आरती में भाग लेने से मुझे एक असीम उर्जा प्राप्त होती है
हम चाहे कितना भी पोष्टिक खाना क्यों न  खा ले फिर भी हमें उर्जा नहीं देगा यदि हम उस खाने को भगवान् को भोग लगा कर यदि हम खाना नहीं खाते है तो।

में पिछले 3-4 दिन से मंदिर नहीं गया था । आज दोपहर में जब पढ़ रहा था तो मेरी आँखों में दर्द हो रहा था
मैने आँखों को पानी से धोया फिर भी ठीक नहीं हुई ।

फिर में  शाम को मंदिर गया और आरती में भाग लिया और दर्शन किये फिर में घर आ गया।  खाना खा कर वापस में पढने लग गया । फिर अचानक मुझे याद आया की मेरी आँखों में अब दर्द नहीं हो रहा है। तब मुझे समझ  में आया की मैरे मै  पिछले 3-4 दिन से नकरात्मक ऊर्जा आ गयी थी । वो मंदिर जाने से खत्म  हो गयी।



Thursday 19 September 2013

world best thought by prem singh


मेरे जीवन के बारे में दो विचार है
प्रेमसिह  


1  हमारे चारो तरफ जो भोतिक आवरण है वही सफलता और असफलता का कारण  है क्यों की हम इसी आवरण से पार पा लेते है तो हम सफल है और यदि हम इस आवरण में  फस जाते है तो उम कभी सफल नहीं हो सकते है।


2 किसी भी बात के दो पहलु  होते है , एक अच्छा  और एक बुरा , ये बात हमारे सोचने के नजरिए  पर निर्भर करती है की हम क्या सोचते है उस बात को लेकर 

Wednesday 18 September 2013

self satisfaction

क्या है जीवन  जो गिरता है
     फिर उठता है 
क्या है लक्ष्य जो हम 
       सब आगे जाने को आतुर है 
क्या है उस पार 
      जो हम जानना चाहते  है 
क्या कभी यह अंधी दोड़ 
     रुक पायेगी, अंत आएगा कभी इस दोड़  का 
क्या है जो हम फिर उठ  खड़े होते  है 
     शक्ति का ह्रास  करने को 
क्या है जो कभी हम सागर 
     पीकर भी संतुष्ट नहीं है 
क्या है कारण जो हम इन सब सवालो  को जानते हुए भी 
   आत्म सयमित नहीं है । 

Tuesday 17 September 2013

Heart

दिल समुंद्र के किनारे की रेत की तरह है जिस पर कुछ लिख दो और फिर जब समुंद्र की लहरो  का  पानी वापस उठकर आता  है तो वह लिखावट मिट जाती है, पर थोड़ी बहूत लिखावट रह जाती है , और ये लिखावट समय के साथ मिट  ही जाती है । 

Monday 16 September 2013

Life Struggle poem

जिंदगी  की राह मै, में कई बार टूटा  हू
        जब लगा की कुछ भी नहीं है ॥ 
जब राह मै पैर डगमग़ाये  तो  लगा की 
        अब तो  कोई सुर्य  की कीरण   नहीं  है ॥ 
शाम भी ढल रही है , सुर्य  भी बादलों  मे कही  छीपा  है 
फिर भी मे उठ खड़ा हूंगा, क्यों की उम्मीद  का आखरी कण मुज मै मोजुद  है||