Wednesday 18 September 2013

self satisfaction

क्या है जीवन  जो गिरता है
     फिर उठता है 
क्या है लक्ष्य जो हम 
       सब आगे जाने को आतुर है 
क्या है उस पार 
      जो हम जानना चाहते  है 
क्या कभी यह अंधी दोड़ 
     रुक पायेगी, अंत आएगा कभी इस दोड़  का 
क्या है जो हम फिर उठ  खड़े होते  है 
     शक्ति का ह्रास  करने को 
क्या है जो कभी हम सागर 
     पीकर भी संतुष्ट नहीं है 
क्या है कारण जो हम इन सब सवालो  को जानते हुए भी 
   आत्म सयमित नहीं है । 

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