क्या है जीवन जो गिरता है
फिर उठता है
क्या है लक्ष्य जो हम
सब आगे जाने को आतुर है
क्या है उस पार
जो हम जानना चाहते है
क्या कभी यह अंधी दोड़
रुक पायेगी, अंत आएगा कभी इस दोड़ का
क्या है जो हम फिर उठ खड़े होते है
शक्ति का ह्रास करने को
क्या है जो कभी हम सागर
पीकर भी संतुष्ट नहीं है
क्या है कारण जो हम इन सब सवालो को जानते हुए भी
आत्म सयमित नहीं है ।
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